बिजली विभाग पर दो दिन में दो बड़ी कार्रवाई कहीं निजीकरण की तैयारी तो नहीं?
सीएम योगी के कड़े निर्देश और ऊर्जा मंत्री की वायरल फटकार ने बढ़ाई हलचल
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग को लेकर बीते दो दिनों में जिस तरह से घटनाक्रम तेज़ हुए हैं, उससे विद्युतकर्मियों से लेकर जानकारों तक में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। जहां एक ओर ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा की एक समीक्षा बैठक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वे विद्युत अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर 25 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली विभाग की समीक्षा बैठक में जमकर नाराजगी जताई और बेहद सख्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को साफ संदेश दिया कि “ट्रिपिंग, ओवरबिलिंग और अनावश्यक कटौती अब नहीं चलेगी।” उन्होंने यह भी दोहराया कि “बिजली अब सिर्फ सेवा नहीं, बल्कि आम आदमी की ज़रूरत और भरोसे से जुड़ा विषय है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि न तो राज्य में पैसे की कमी है, न बिजली की, और न ही संसाधनों की तो फिर अव्यवस्था क्यों? यदि व्यवस्था नहीं सुधरी, तो कार्रवाई तय है।
मुख्यमंत्री ने सभी डिस्कॉम से जवाबदेही मांगी और स्पष्ट किया कि हर उपभोक्ता को समय पर सही बिल मिलना चाहिए, फॉल्स बिलिंग किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि जून में रिकॉर्ड 31,486 मेगावाट बिजली मांग पूरी की गई है और आने वाले समय में घाटमपुर, खुर्जा, पनकी और मेजा जैसी परियोजनाओं से उत्पादन क्षमता बढ़कर 16,000 मेगावाट से भी अधिक हो जाएगी।
साथ ही कृषि फीडरों के पृथक्करण, सौर ऊर्जा से ट्यूबवेलों को जोड़ने और स्मार्ट मीटरिंग को ब्लॉक स्तर तक विस्तार देने के निर्देश भी दिए।
बिजली विभाग को लेकर दो दिनों के भीतर ये तीखे तेवर पहली बार देखने को नहीं मिल रहे, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। पत्रकारों का कहना है कि आमतौर पर ऐसी बैठकों से मीडिया को बाहर कर दिया जाता है और विजुअल सिर्फ बैठक शुरू होने से पहले बनवाए जाते हैं। ऐसे में ऊर्जा मंत्री की फटकार का वीडियो सोशल मीडिया पर आ जाना, वह भी अंदरूनी बैठक का, अपने आप में सोचने पर मजबूर करता है।
बिजली विभाग के कर्मचारियों का लंबे समय से निजीकरण को लेकर विरोध रहा है। अब तक सरकार ने संवाद और आश्वासन के जरिए स्थिति संभाल रखी थी। लेकिन जिस तरह से बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री और मंत्री के सख्त तेवर सामने आए हैं, उससे यह आशंका बलवती हो रही है कि उत्तर प्रदेश सरकार धीरे-धीरे बिजली व्यवस्था के निजीकरण की ओर कदम बढ़ा रही है।
हालांकि सरकार की ओर से अब तक निजीकरण को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से समीक्षा बैठकों में बारीकी से “परफॉर्मेंस ऑडिट” और जवाबदेही पर ज़ोर दिया जा रहा है, वह संकेत जरूर दे रहे हैं कि आने वाला समय विद्युत विभाग के लिए निर्णायक होने जा रहा है।